क्यों गुम है तू,हैरान है क्यों
इन मसलों में परेशान है क्यों
क्यों गुम है तू,हैरान है क्यों
मसलों को मसला है जिसने
वो तुझको बुलाए दूर है क्यों
क्यों गुम है तू,हैरान है क्यों
तेरे बोझो को जिसने खत्म किया
छू उसको छू,हैरान है क्यों
इन मसलों में परेशान है क्यों २
तेरे दिल की बातें जानता वो
तेरी हर राह को पहचानता वो
वो तेरे रूबरू हैरान है क्यों
क्यों मस्त है तू अपनी धुन में
सुन सच्चाई की राह चुन ले
कहता पाक रूह,हैरान है क्यों
इन मसलों में परेशान है क्यों
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